tag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post5234792684448529194..comments2023-04-01T14:25:52.334+05:30Comments on मेरा कुछ सामान...: तुझ्यासोबत..मेरा कुछ सामान ...http://www.blogger.com/profile/14548605618938321314noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-12697368593521027552013-03-02T14:13:23.383+05:302013-03-02T14:13:23.383+05:30व्वा.... क्या बात है.. भारीच आहे.. :-) ह्म्म... फु...व्वा.... क्या बात है.. भारीच आहे.. :-) ह्म्म... फुरसत.. That whole another issue.. दिल ढुंढता है फिर वही... :-)मेरा कुछ सामान ...https://www.blogger.com/profile/14548605618938321314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-77940013651543240292013-03-02T03:37:22.740+05:302013-03-02T03:37:22.740+05:30ग्रेसकडून ऐकलेल्या या ओळी. 'संध्यासुक्तांचा या...ग्रेसकडून ऐकलेल्या या ओळी. 'संध्यासुक्तांचा यात्रिक' या interview-मधे (it’s a set of 2 CDs.. just amazing!). आणि माहित आहे का, ग्रेस ओळी बदलतो कधी कधी... त्याला जे म्हणायचं आहे ते express करण्यासाठी. awesome वाटतं ते मला! मनात घर करून राहतं. <br /><br />खरंतर हा कलाम असा आहे..<br /><br />कोई समझायीये कि क्या रंग हैं मैखाने का<br />आँख साक़ी कि उठे, नाम हो पैमाने का<br /><br />गर्मै-ए-शमा का अफ़साना सुननेवालों<br />रक़्स देखा नहीं तुमने अभी परवाने का<br /><br />चश्म-ए-साक़ि मुझे हर गम पे याद आती हैं<br />रास्ता भूल ना जाऊँ कहीं मैखाने का<br /><br />अब तो हर शाम गुज़रती हैं इसी कुचें में<br />ये नतीजा हुआ नसेह तेरे समझाने का<br /><br />अब तो हर मंज़िल से गुज़रना है आसान “इक़्बाल”<br />इश्क़ है नाम खुद अपने से गुज़र जाने का<br /><br />- इक़्बाल साफ़ी पुरी<br /><br />see.. now it does not sound that good. :-(<br /><br />अजूनही बरंच बोलावंस वाटतंय.. लेकीन फिर कभी.. फुरसतमें..Anilhttps://www.blogger.com/profile/09281886601059064975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-40794749233656209992013-03-01T12:39:46.415+05:302013-03-01T12:39:46.415+05:30राऊळ साऊल,
वाहवा! काय ओळी आहेत.. अप्रतिम.. कोणाच्...राऊळ साऊल, <br />वाहवा! काय ओळी आहेत.. अप्रतिम.. कोणाच्या आहेत?मेरा कुछ सामान ...https://www.blogger.com/profile/14548605618938321314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-17171580677246136572013-03-01T03:16:43.345+05:302013-03-01T03:16:43.345+05:30काय बोलू आता.. फक्त मनाला आवर आणि समजूत घालण्यासाठ...काय बोलू आता.. फक्त मनाला आवर आणि समजूत घालण्यासाठी म्हनून त्या दोन ओळी आठवाव्याशा वाटतात..<br /><br />मंजिलें इश्क से गुजरना तो आसान हैं इक बार,<br />इश्क इक नाम हैं खुद अपनेसे गुजर जाने का..Anilhttps://www.blogger.com/profile/09281886601059064975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-4038540828022689612011-05-16T22:29:44.120+05:302011-05-16T22:29:44.120+05:30धन्यवाद BinaryBandya™..! :-)धन्यवाद BinaryBandya™..! :-)मेरा कुछ सामान ...https://www.blogger.com/profile/14548605618938321314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-75898941183660572022011-05-16T14:56:54.825+05:302011-05-16T14:56:54.825+05:30एकच शब्द अप्रतिमएकच शब्द अप्रतिमBinaryBandya™https://www.blogger.com/profile/14603351277115472325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-784146528584035662011-05-15T18:27:07.373+05:302011-05-15T18:27:07.373+05:30धन्यवाद रे डु... :-) की dude? :-)धन्यवाद रे डु... :-) की dude? :-)मेरा कुछ सामान ...https://www.blogger.com/profile/14548605618938321314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2853781273452791473.post-91019113906799565702011-05-15T14:17:55.586+05:302011-05-15T14:17:55.586+05:30चार दोन शब्दात कवितेबद्द्ल / कवयित्रीच्या प्रतिभेब...चार दोन शब्दात कवितेबद्द्ल / कवयित्रीच्या प्रतिभेबद्द्ल लिहिणं कठिण. नेहमीप्रमाणेच. :) उगाच काय भारी, मस्त असं विशेषणांत लिहायंच गं? (लिहिता आलं की लिहीनच सविस्तर.. (म्हणजे उगाच नव्हे हं!) म्हणून सध्या तरी येवढंच -> :) <br />म्हणशील तर ह्यात खूप काही अर्थ आहे!dohttps://www.blogger.com/profile/03724362711866564628noreply@blogger.com